समुद्र मंथन से निकलने वाले 14 रत्न कैसे निकले और इनका बंटवारा किस तरह हुआ

 समुद्र मंथन से निकलने वाले 14 रत्न

समुद्र मंथन से निकलने वाले 14 रत्न

समुद्र मंथन से निकलने वाले 14 रतन यह कैसे निकले इनका किस तरह से बंटवारा हुआ आज हम इसके बारे में चर्चा करेंगे। यह बहुत ही दिलचस्प टॉपिक है तो आप उसको पूरा पढ़िए गा आपको बहुत ही अच्छा लगेगा।

कैसे निकले समुद्र मंथन से 14 रत्न


 दोस्तों आदि काल में देवताओं और दानवों का लड़ाई झगड़ा अक्सर चलता रहता था। इस परेशानी का समाधान निकालने के लिए सभी देवताओं ने सर्वशक्तिमान भगवान कृष्ण के पास शरण लेने की बात सोची और उनके पास जाकर उन्होंने अपनी समस्या से उन्हें अवगत करवाया । भगवान विष्णु ने एक लीला रची और उन्होंने देवताओं से संधि कर ली। संधि करने के बाद उन्होंने समुद्र मंथन का एक कार्यक्रम आयोजन किया इसमें बताया गया देवता और दानवों को कि इसमें बहुत ही अच्छे अच्छे रतन निकलेंगे जिनका हम आपस में बंटवारा कर लेंगे । देवताओं और दानवों को यह बात समझ में आ गई और वह समुद्र मंथन के लिए तैयार हो गए। मंथन हुआ जिसमें से कुल मिलाकर 14 रत्नों की प्राप्ति हुई। जिस का बंटवारा देवता और दानवों में किस प्रकार हुआ यह हम आगे आपको वर्णन करेंगे।

14 रत्नों के नाम क्या थे और इनका बंटवारा किस तरह हुआ

 
समुद्र मंथन से जो 14 रत्न  निकले वह रतन कौन-कौन से थे इसके बारे में आज हम आपको बताते हैं।

  

सर्वप्रथम समुद्र मंथन से हलाहल विष निकला 

 
हलाहल विष बहुत ही विनाशकारी था अगर यह पृथ्वी पर गिर जाता तो बहुत विनाश हो सकता था। इस विश को भगवान शंकर जी ने हमारा उपकार करने के लिए स्वयं अपने आप पी लिया परंतु अपने गले में ही रख लिया और अपने गले से नीचे नहीं उतरने दिया। इसी कारण भगवान शिव नीलकंठ कहलाए। 
 

दूसरा रत्न सात मुख वाला सफेद घोड़ा था

 
दूसरा रतन जो समुद्र मंथन से निकला दोस्तों वह एक साथ मुख वाला सफेद घोड़ा था जिसका नाम उच्च रहा है। इस घोड़े को देवराज इंद्र ने अपने पास रख लिया क्योंकि यह बहुत ही विलक्षण घोड़ा था।
 

तीसरा रत्न सफेद हाथी था

 
तीसरा रत्न जो समुद्र मंथन से निकला वह एक सफेद हाथी था। जो कि ऐरावत के नाम से प्रसिद्ध है। यह हाथी भी देवराज इंद्र ने अपने पास इंद्रलोक में रखा।
 

चौथा रत्न कौस्तुभ मणि थी

 
चौथा रत्न कौस्तुभ मणि निकली। इस मनी को भगवान नारायण ने स्वयं ही धारण कर लिया। इसका विस्तार से वर्णन हमारे अनेक पुराणों में मिलता है। इसके बारे में आप देवी भागवत में भी पढ़ सकते हैं। भागवत पुराण में भी इसके बारे में बहुत कुछ लिखा है। जहां कृष्ण लीला की बात आती है वहां इस मनी का जिक्र होता है।
 

 पांचवा रत्न कामधेनु गाय थी

 
दोस्तों पांचवा रत्न रतन जो समुद्र मंथन से निकला वह ठीक कामधेनु गाय। यह गाय अनंत शक्तियों से संपन्न थी। यह गाय जमदग्नि नाम के ऋषि को दे दी गई।
 

 छटा रत्न था परिजात का वृक्ष

 
छटा रत्न जो समुद्र मंथन से निकला वह था परिजात का वृक्ष। इसका हमारे पूजा-पाठ में विशेष महत्व है और यह एक बहुत ही पवित्र और विलक्षण वृक्ष माना जाता है।
 

 सातवां रत्न लक्ष्मी माता थी 

 
सातवां रत्न जो समुद्र मंथन से निकला वह थी साक्षात लक्ष्मी माता। इसका वरण साक्षात भगवान विष्णु ने किया।
 

 आठवां रत्न  रंभा थी

 
आठवां रत्न जो समुद्र मंथन से निकला है यह एक बहुत ही खूबसूरत अप्सरा थी जिसका नाम रंभा था। इस अप्सरा को इंद्रलोक में इंद्र के पास भेज दिया गया।

नवा रत्न था कल्पवृक्ष

 
नवा रत्न जो समुद्र मंथन से निकला इसका नाम है कल्पवृक्ष। यह बड़ा ही चमत्कारी पेड़ है और यह भी इंद्र को दिया गया इंद्र इसे अपने इंद्रलोक में ले गया।
 

दसवा रत्न वारुणी देवी थी

दसवा रत्न  जो निकली वह एक देवी थी जिनका नाम था वारुणी देवी। इस वारुणी देवी को असुरों के सुपुर्द कर दिया गया।
 

ग्यारवा रत्न पांचजन्य शंख था

ग्यारवारत्न जो समुद्र मंथन से निकला यह है पांचजन्य शंख जिसे भगवान नारायण ने स्वयं धारण किया। उनके हाथ में जो शंख होता है यही पांचजन्य शंख होता है।
 

बारवे स्थान पर निकले चन्द्रमा 

बारवे स्थान पर जिस रत्न की प्राप्ति हुई वह है चंद्रमा। चंद्रमा का जन्म स्थान समंदर को ही माना जाता है। जिसे भगवान शिव ने अपने सिर पर धारण किया। चंद्रमा को मां लक्ष्मी का भाई भी माना जाता है क्योंकि दोनों का ही जन्म समंदर से ही हुआ है।

तेरवे स्थान पर थे धन्वंतरी वैद्य

तेरवे स्थान पर जो रत्न  निकले वह थे धन्वंतरी वैद्य जिन्होंने आयुर्वेद की रचना की। धनवंतरी जी ने बहुत बड़ा उपकार हम प्राणियों पर किया है। उन्होंने आयुर्वेद में बहुत सी ऐसी बातें बताई हैं जिससे हम निरोगी रह सके।
 

चौदवा रत्न था अमृत कलश

चौदवे और अंतिम रत्न  के रूप में जो निकला दोस्तों वह था अमृत कलश। अब देवता चाहते थे कि इसका पान हम करें और दानव चाहते थे कि इसका पान हम करें। इसी बात पर दोनों का झगड़ा शुरू हो गया, भगवान नारायण यह सब कुछ देख रहे थे। मैं समझ गए कि अगर यह आपस में झगड़ एंगे तो यह कलश वापस समंदर में चला जाएगा। और अगर राक्षसों ने इसे पी लिया तो राक्षस अमर हो जाएंगे। 
 
तो भगवान ने एक बहुत बड़ी लीला रची उन्होंने अपने आपको एक बहुत खूबसूरत सुंदरी के रूप में धारण कर लिया जो मोहिनी के नाम से जानी जाती है। और उस मोहिनी ने अमृत कलश को अपने पास ले लिया और कहा सब एक पंक्ति में बैठ जाएं मैं सब का बंटवारा कर दूंगी। 
 
मोहिनी का रूप इतना सुंदर था कि राक्षस और देवता दोनों ही मंत्रमुग्ध हो गए और उसकी बात को मान लिया गया। अब सारे राक्षस और सारे देवता एक जगह बैठ गए और मोहिनी ने उस अमृत का बंटवारा करना शुरू कर दिया। किसी ना किसी तरीके से मोहिनी जो कि स्वयं नारायण थे सिर्फ देवताओं को ही अमृत पान करवा रहे थे। 
 
इसे देखते हुए सर्वभानु नाम का एक राक्षस जिसने इस चालाकी को समझ लिया की मोहिनी सिर्फ देवताओं को ही अमृत पान करवा रही है अथवा राक्षसों को नहीं दे रही। तो सर्व भानु ने अपना रूप बदल लिय और छल से देवताओं की श्रेणी में जाकर बैठ गया और अमृत का पान कर लिया। 
 
भगवान विष्णु को जब इस चला कि और कपट का पता लगा तो उन्होंने सुदर्शन चक्र से उसका गला धड़ से अलग कर दिया। परंतु यह अमृत पान कर चुका था इसी कारण यह अमर हो गया और जो कटा हुआ सिर था वह राहु बन गया और धड़ केतु के नाम से जाना जाने लगा। हमारे आज के ग्रहों में इन्हें मान्यता दी जाती है।
 
दोस्तों यह थे समंदर मंथन से निकले हुए 14 रतन आशा करते हैं आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी।
 

प्याज़ और लहसुन की उत्पति कैसे हुई 

  
चलते चलते एक और जरूरी जानकारी आपके साथ साझा करना चाहते हैं जोकि राहु और केतु अथवा प्याज और लहसुन के बारे में है। हिंदू धर्म में कुछ लोग प्याज और लहसुन का उपयोग नहीं करते। 
 
ऐसी मान्यता है कि जब इस राक्षस का सर काटा गया तो जमीन पर खून के कुछ कतरे गिरे जहां पर सिर का कतरा गिरा वहां पर लहसुन की उत्पत्ति हुई जहां पर धड़का हिस्सा गिरा वहां पर प्यास की उत्पत्ति हुई तो यह दोनों ही चीज है खाने के लिए तामसिक मानी जाती हैं इसी कारण से कुछ लोग प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं करते हैं | 
 
तो दोस्तों यह थी आज की जानकारी जो हमने समंदर मंथन के बारे में आपको दी आपको यह जानकारी कैसी लगी यह हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा इसके अलावा आप और किस विषय में जानना चाहते हैं इसके लिए भी आप हमसे कमेंट करके संपर्क कर सकते हैं आपके कमेंट का हमें सदैव इंतजार रहता है | 
 
आप खुश रहें स्वस्थ रहें यही हम ईश्वर से कामना करते हैं।
 
धन्यवाद 


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