कुंडली में विदेश यात्रा और विदेश में सफलता के योग
विदेश जाने की लालसा दिन-प्रतिदिन क्यों बढ़ती जा रही है
नमस्कार दोस्तों मैं आपका एस्ट्रोलॉजर पंडित एसके शर्मा आज फिर आपके लिए एक नया पोस्ट लेकर आया हूं। जिसका संबंध उनसे है जो विदेश जाने के इच्छुक है, विदेश जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, या वहाँ पर पहुंच चुके हैं और किसी ना किसी कारण से विदेश से आना सम्बंध बनाना चाहते हैं।
आप जानते हैं विदेश जाने की लालसा हमारे देश में दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है इसके कारण अनेक है। हमारे देश में रोज़गार इतने ज्यादा और अच्छे नहीं है जितनी कि अन्य विकसित देशों जैसे अमेरिका कनाडा आस्ट्रेलिया और अन्य यूरोपियन कंट्रीज।
दूसरा डेवलप्ड कंट्रीज का स्टैंडर्ड ऑफ़ लिविंग हमारे देश से काफी बेहतर माना जाता है और वहाँ का सैलेरी स्ट्रक्चर भी हमारे से काफी अच्छा है।
वहां जाकर काम करके हम अपने देश से ज्यादा धन कमा सकते हैं लोग ऐसा कर भी रहे हैं भारत से लाखों लोग काम करने के लिए विदेश गए हुए हैं। कुछ तो हमेशा के लिए वही पर बस गए हैं। भारत में विदेशी मुद्रा आने का बहुत बड़ा कारण वहां पर बसे हुए भारतीयों का है जो विदेश में बैठकर काम करके मेहनत करके रोजगार करके व्यापार करके हमारे देश में अनंत विदेशी मुद्रा भिजवाते हैं।
दोस्तों विदेश जाने का सपना तो लाखों लोगों का होता है परंतु सभी सफल नहीं हो पाते।
विदेश जाने के योग
आज हम आपकी कुंडली के कुछ ऐसे ही योगों की बात करेंगे जिससे आपको काफी हद तक अंदाजा लग सकता है कि आपके विदेश जाने के कितने योग बनते हैं कितने चांस हैं।
अगर विदेश जाने का योग है तो वह कब तक फलित होगा, वहाँ जाना आपके लिए कितना लाभदायक होगा या नहीं होगा। आप वहाँ जाकर वापस आएंगे कि नहीं आएंगे। इस तरह के अनेक प्रश्न है जिनका हम आपकी कुंडली से पता लगा सकते हैं।
तो दोस्तों इसी दिशा में आगे बढ़ते हैं। आप जानते हैं कि आपकी कुंडली में बारह भाव होते हैं। विदेश जाने का संबंध आपकी कुंडली में मुख्यता चौथे, नोमें, दसवे, बारवे और पहले जिसे हम लगन भी बोलते हैं इन स्थानों से देखा जाता है।
विदेश जाने के सहायक ग्रह हैं, जैसे चंद्रमा अगर आपकी कुंडली के छठे या बारहवें भाव में है या चौथे भाव में है तो यह विदेश यात्रा का योग बनाता है। इसके साथ ही साथ आपकी कुंडली के चौथे भाव में अगर क्रूर ग्रह बैठे हुए हैं, जिनकी टेन्डेन्सी सेपरेशन की मानी जाती है जैसे सूर्य राहु व केतु मंगल आदि तो आप भी विदेश जाने के बारे में सोच सकते हैं।
इसका कारण बहुत ही सीधा हे की चौथा स्थान आपकी मदरलैंड का स्थान है और उसमें अगर सेपरेटिवे टेन्डेन्सी के ग्रह बैठे हुए हैं तो वह आपको अपने देश से अपनी मातृभूमि से अलग कर देंगे। इसका अभिप्राय आपके विदेश जाने के चान्सेस प्रबल हैं।
आपकी कुंडली में चौथा भाव मदरलैंड का है जैसे मैंने बताया और 12वा भाव फॉरेनलैंड का है, इस प्रकार अगर आपकी कुंडली के चौथे और बारहवें भाव का किसी प्रकार से भी संबंध बनता है तो यह विदेश जाने का एक बहुत ही प्रबल योग माना जाता है।
इसी प्रकार आपकी कुंडली का दसवां भाव आपके प्रोफेशन को दर्शाता है अगर इस भाव का किसी भी प्रकार से 12वें भाव के साथ कनेक्शन बन रहा है तो यह भी विदेश जाकर काम करने का एक योग बनता है।
आपकी कुंडली में शनि और चंद्रमा का योग अगर बना हुआ है तो यह भी विदेश जाने के लिए बहुत ही कारगर योग माना जाता है।
अगर आप के नवें स्थान में जिसे भाग्य स्थान भी कहते हैं, इसका स्वामी अगर बारवे स्थान से किसी प्रकार से भी संबंध बना रहा है तो यह भी एक प्रबल योग बनता है। इसका उपयोग यह कि आपका भाग्य विदेश में जाकर उदय होगा।
तो दोस्तों यह थे विदेश जाने के, वहां पर काम करने के, पहुंचने के कुछ योग। ऐसे और भी अनेक योग बनते हैं सभी का यहाँ वर्णन करना संभव नही है।
अगर आप अपने विदेश जाने के बारे में जानना चाहते हैं तो हमसे संपर्क कर सकते हैं। अभी मैं इस विदेश योग के संधर्ब में कुछ और पोस्ट भी बना रहा हूं जो जल्दी ही आप तक पहुंचेंगी।
मैं आशा करता हूं कि आपको यह पोस्ट पसंद आएगी।
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